तूफानों को आने दो, हम को है कोई डर नहीं .
मौजों पे है मचलना, निकाल ली है कश्तियाँ.
लगाने दो जोर आँधियों को, साहिल के पार जाना है.
बस लहरें है और पाल है, अब कस ली हैं मुट्ठियाँ.
खतरों से अब यूँ खेलना आदत में अपनी शुमार है.
डर भला किस बात का, हिम्मत हम में बेशुमार है .
तूफानों को आने दो, हम को है कोई डर नहीं
ReplyDeletewah! great
आपके ब्लॉग पर आकर कुछ तसल्ली हुई.ठीक लिखते हो. सफ़र जारी रखें.पूरी तबीयत के साथ लिखते रहें.टिप्पणियों का इन्तजार नहीं करें.वे आयेगी तो अच्छा है.नहीं भी आये तो क्या.हमारा लिखा कभी तो रंग लाएगा. वैसे भी साहित्य अपने मन की खुशी के लिए भी होता रहा है.
ReplyDeleteचलता हु.फिर आउंगा.और ब्लोगों का भी सफ़र करके अपनी राय देते रहेंगे तो लोग आपको भी पढ़ते रहेंगे.
सादर,
माणिक
आकाशवाणी ,स्पिक मैके और अध्यापन से सीधा जुड़ाव साथ ही कई गैर सरकारी मंचों से अनौपचारिक जुड़ाव
अपनी माटी
माणिकनामा
अपनी माटी ब्लॉग अग्रीगेटर
good.
ReplyDeleteACHCHHE LAGI AAPKI KAVITA ..GOOD LUCK ..
ReplyDeleteइस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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