इस कदर ग्लोबल वार्मिंग का हो रहा है असर, आँख से धुआं धुआं निकल रहा है आजकल
उधर ग्लासिएर्स कि बर्फ है पिघल रही, इधर मेरा दीवाना दिल जल रहा है आजकल
उधर ओजोने कि लेएर कि हो रही है भरी छाती, इधर ज़ेहन में यादों कि परत परत उधर रही
उधर सागरों के जल में तीव्र वृद्धी हो रही है, इधर सूखे एहसासों कि बेल मुरझा के मर रही.
Monday, October 11, 2010
ग्लोबल वार्मिंग
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