बस इंतज़ार है उस सुबह का, जो देर सबेर ही सही लेकिन आएगी जरूर
कितने ही गम दर्द दे ये वक़्त हमें ..ख़ुशी की कोई किरण भी लाएगी जरूर
यूँ दूर है ख़ुशी हमसे गर तो कोई तो वजह होगी, कभी तो ये घडी हमें बताएगी जरूर
यूँ कब तलक हार का दौर चलेगा बिन लड़े, कभी कोई तो बाज़ी हमें आज़माएगी जरूर
वो जीत का मंजर जो आँखों में ख़्वाब बन बैठा है, एक मौका तो मिले ज़रा हकीकत में ढाल देंगे
वक़्त की आजमाईश की ख्वाहिश हो जाये बस पूरी, फिर तूफान से भी हम कश्ती निकाल लेंगे
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