आत्ममंथन की हवा का हुआ ये असर है
देखना इस चिंगारी की आग कहाँ तक उठेगी
धुआँ धुआँ सा रौशन होगा शमां फिर
इन शब्दों की लौ में ये दुनिया जलेगी .
Saturday, February 27, 2010
wajah.......
इस रात की सुबह कभी तो होगी
तेरी नाराजगी की वजह कुछ तो होगी
बिना वजह सिर्फ़ इश्क़ ही होता है
फिर उसकी वजह से यह दिल रोता है
इस दर्द - ए -गम की दवा कुछ तो होगी
तेरी नाराजगी की वजह कुछ तो होगी
कैसे बयाँ करूं हाल दिल का है क्या
अब सिर्फ़ तन्हाइयों में ही जीता है ये
ज़ख्म सहता है और दर्द पीता है यह
इस ज़िन्दगी से उबरने की दुवा कुछ तो होगी
तेरी नाराजगी की वजह कुछ तो होगी
Lamho ke nagme ...
आगाज़ की कुछ हमे न खबर
अंजाम की न कोई है फिकर चलता हूँ यारों मैं अपनी डगर
यूँही ढलते रहते हैं शामों ए सहर
ये हवा यहाँ से जो बह के गयी है
कानो में मेरे, कुछ कह सी गयी है
किसी ने धडकनों का संदेशा है भेजा
बात है जो दिल में वो रह सी गयी है
ये हवा यहाँ से जो बह के गयी है
कानो में मेरे, कुछ कह सी गयी है
किसी ने धडकनों का संदेशा है भेजा
बात है जो दिल में वो रह सी गयी है
Saturday, February 20, 2010
KYUN.........BHALA
क्यूँ ख़्वाब टूट जाते है , सवरने से पहले
क्यूँ लोग छूट जाते हैं , अपना बनने से पहले
क्यूँ लम्हें लूट जाते हैं , वक़्त ठहरने से पहले
क्यूँ गागर फूट जाते हैं, सागर भरने से पहले
क्यूँ होता है ऐसा सब, कुछ तो बता ये मेरे रब
क्यूँ लोग छूट जाते हैं , अपना बनने से पहले
क्यूँ लम्हें लूट जाते हैं , वक़्त ठहरने से पहले
क्यूँ गागर फूट जाते हैं, सागर भरने से पहले
क्यूँ होता है ऐसा सब, कुछ तो बता ये मेरे रब
jeevan such
न भर सके वक़्त का मरहम जिसे , ज़ख्म इतना भी गहरा नहीं है
न सुन सके तेरे धडकनों की आहट , ये दिल इतना भी बहरा नहीं है
नैनो में तेरे ख्वाब भी न आ सके , यूँ पलकों का पहरा भी नहीं है
क्यूँ न भूल पायेगा ये दिल वो पल , वक़्त इतना भी ठहरा नहीं है
about ME
मैं जब चला रास्ते चल पड़े , मैं जब रुका वक्त ही रुक गया
छूना चाहा जिस पल भी आसमान , ये ज़मीं कुछ उठी आसमाँ झुक गया
मंजिलों की हमे न फिकर थी कभी , हमने तो राहों से दोस्ती ही कर ली थी
राहों पे चलते गए, हमसफ़र मिलते गए, ख्वाबों की दुनियाँ नैनों में भर ली थी
छूना चाहा जिस पल भी आसमान , ये ज़मीं कुछ उठी आसमाँ झुक गया
मंजिलों की हमे न फिकर थी कभी , हमने तो राहों से दोस्ती ही कर ली थी
राहों पे चलते गए, हमसफ़र मिलते गए, ख्वाबों की दुनियाँ नैनों में भर ली थी
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