क्यूँ ख़्वाब टूट जाते है , सवरने से पहले
क्यूँ लोग छूट जाते हैं , अपना बनने से पहले
क्यूँ लम्हें लूट जाते हैं , वक़्त ठहरने से पहले
क्यूँ गागर फूट जाते हैं, सागर भरने से पहले
क्यूँ होता है ऐसा सब, कुछ तो बता ये मेरे रब
Saturday, February 20, 2010
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