Saturday, February 20, 2010

KYUN.........BHALA

क्यूँ   ख़्वाब   टूट  जाते   है , सवरने  से  पहले
क्यूँ लोग छूट जाते हैं , अपना बनने से पहले
क्यूँ लम्हें लूट जाते हैं , वक़्त ठहरने से पहले
क्यूँ   गागर फूट जाते हैं, सागर भरने से पहले
क्यूँ होता है ऐसा सब, कुछ तो बता  ये मेरे  रब

No comments:

Post a Comment