न भर सके वक़्त का मरहम जिसे , ज़ख्म इतना भी गहरा नहीं है
न सुन सके तेरे धडकनों की आहट , ये दिल इतना भी बहरा नहीं है
नैनो में तेरे ख्वाब भी न आ सके , यूँ पलकों का पहरा भी नहीं है
क्यूँ न भूल पायेगा ये दिल वो पल , वक़्त इतना भी ठहरा नहीं है
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