Saturday, March 6, 2010

main aur chand

मैंने छूना चाहा था  जो  चाँद  को, चाँद  ने  कहा  ज़रा  ठहर अभी
रात  है  अभी  तो  पूरी  जवां, आ  रहा  है  तारों  को  नज़र  सभी
बादलों  के  छाने  का  करो  जतन, वक़्त  बाकी  होने  में  सहर  अभी
क्यूँ  भला  हो  यूँ  उतावले  से  तुम, रात  के  नशे  का  है  असर  अभी
    मैंने  बोला  चाँद आँख  बंद  कर, आएगा  न  कुछ  तुझे  नज़र  अभी
    बादलों  के  इंतज़ार  में  कहीं, बीत  जाये  यूँ न ये  पहर  सभी
    तारों  की  हमे  भला  क्यूँ  हो  फिक्र, उनको  आएगा  नहीं  नज़र  कभी
    वो  भला  किसी  से भी कहेगे कैसे , जाएंगे  वो  टूटकर  बिखर  अभी

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