दूरियाँ कितनी भी हो पर फासला न होने दीजिये, राह कितनी भी हो कठिन हौसला न खोने दीजिये
मंज़िल मिले न मिले राहों पे चलते जाईये , ख़्वाब भी यूँ देखिये की आँखें न सोने दीजिये
हमसफ़र न हो भले पर हमराज़ होने चाहिए ,इस मासूम दिल को यूँ न तन्हा, दर्द ढोने दीजिये
दिल के जज्बातों को दिल में दबा कर क्या फ़ायदा ,शब्दों की दे परवाज़ उनको, नगमे पिरोने दीजिये
यादें कैसी भी हो एहसास रखती है साथ वो , बीते पल को कर के याद, पलकें भिगोने दीजिये .
वक़्त कैसा भी हो गुजरा न किसी से शिक़वे गिले ,गम की न कोई हो जगह, बस खुशियाँ सजोने दीजिये .
Saturday, March 6, 2010
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