Saturday, March 6, 2010

Salaah...

दूरियाँ  कितनी भी  हो  पर  फासला  न  होने  दीजिये, राह  कितनी  भी  हो  कठिन  हौसला  न  खोने  दीजिये
मंज़िल  मिले  न  मिले  राहों  पे  चलते  जाईये , ख़्वाब  भी  यूँ  देखिये  की  आँखें  न  सोने  दीजिये
हमसफ़र  न  हो  भले  पर  हमराज़  होने  चाहिए ,इस  मासूम  दिल  को  यूँ  न  तन्हा,  दर्द  ढोने  दीजिये
दिल  के  जज्बातों  को  दिल  में  दबा  कर  क्या  फ़ायदा ,शब्दों  की  दे  परवाज़  उनको, नगमे  पिरोने  दीजिये
यादें  कैसी  भी  हो  एहसास  रखती  है  साथ  वो , बीते  पल  को  कर  के  याद,  पलकें  भिगोने  दीजिये .
वक़्त कैसा  भी  हो  गुजरा  न  किसी  से  शिक़वे   गिले ,गम  की  न  कोई  हो  जगह,  बस  खुशियाँ  सजोने  दीजिये .

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